उसने कुछ नहीं कहा , जब उसे कहने था ।
मैंने भी कुछ नहीं सुना , जब मुझे सुनना था ।।
वो भी शांत बैठें रहे, मैं भी मॉन होती रही ।
उसने टोका , मैने सुना नहीं ।
उसने रो का , मै रूकी नहीं ।।
वक्त गुजरता गया , दूरि यां बढ़ती गई।
और अब, जब वो मुझे टो कते हैं ।
मैं कुछ बोलती हूं, पर थोड़ा खुद को रोकती
हूं।।
अब ना वो मुझे टोकते हैं ।
और ना मैं कभी रूकती हूं।।
रिचा कुमारी